उस पथ का पथिक होना भी क्या
जिस पर बिखरे शूल न हों।
उस नाव का खेना भी क्या खेना
जिसकी धारा प्रतिकूल न हो।।
दिल में अरमान रखता हूँ
चाहे जाऊँ जहाँ भी
ये हिंदुस्तान दिल में रखता हूँ
वो कौन हैं जो डटे हैं मुझे हराने के लिए
किसमें दम है मुझे हटाने के लिए
आज भी करोड़ों खड़े हैं सिर कटाने के लिए।।
फूल बनकर ही खिलना चमन के लिए,
कोशिशें खूब करना अमन के लिए,
यूँ तुम्हारा, न हो बाल बाँका कभी,
पर, हो ज़रूरी तो मिटना वतन के लिए।।
जीवन पथ है संघर्ष पथ, निरंतर आगे बढ़ते जाना है।
इस उपलब्धि को मंजिल समझ, नहीं यहीं रुक जाना है।
ज़िंदगी में आने की खबर तो 9 महीने पहले मिल जाती है लेकिन जाने की खबर 9 सेकंड पहले भी नहीं मिल पाती इसलिए मस्त रहो व्यस्त रहो।
एक स्कूल खोलने का अर्थ है, एक कारागार बंद करना।
हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र निर्माण हो और मन की शक्ति में वृद्धि हो।
चरित्र निर्माण में अक्षम शिक्षा अर्थहीन है।
पत्थर के लिए जो भूमिका मूर्तिकला की है, वही भूमिका मनुष्य के लिए शिक्षा की है।
यदि निर्धन शिक्षा तक नहीं पहुंच सकता, तो शिक्षा को निर्धन तक पहुँचना चाहिए।
बहुधा देखा गया है की वास्तविक शिक्षा तभी प्रारंभ होती है, जब व्यक्ति विद्यालय या विश्वविद्यालय से निकलते हैं।- संत निहाल सिंह
शिक्षा प्राप्त करने के तीन आधार स्तंभ हैं– अधिक निरीक्षण करना, अधिक अनुभव करना एवं अधिक अध्ययन करना।- केथराल
शिक्षा एक प्रशंसनीय वस्तु है, किंतु समय-समय पर इसका भी अनुसरण करना चाहिए कि जो जानने योग्य वस्तुएँ हैं, वे कभी सिखाई नहीं जा सकतीं।- वाइल्ड
वस्तु का स्वभाव ही धर्म है।
धर्म जीने का वह मार्ग है, जिस पर चलकर हम अपने आध्यात्मिक स्वरूप को प्राप्त कर सकते हैं।
संपूर्ण जीवन जीने की कला का दूसरा नाम धर्म है।
धर्म एक विज्ञान है और इसका अध्ययन, मन के लिए महत्तम तथा स्वस्थतम अभ्यास है।
धर्म का अर्थ सिद्धांतों की चर्चा अथवा ग्रंथों का अध्ययन नहीं है, बल्कि उसकी अनुभूति है।
धर्म ईश्वर और मनुष्य के प्रति प्रेम से अधिक कुछ भी नहीं।- विलियम पेन
सभी धर्म वस्तुत: एक ही लक्ष्य की ओर ले जाने वाले विभिन्न मार्ग हैं, जब हम एक ही लक्ष्य पर पहुँचना चाहते हैं, तो किसी भी मार्ग से जाने में क्या अंतर पड़ता है?- महात्मा गांधी
दूसरे का धर्म भले ही श्रेष्ठ मालूम हो, उसे ग्रहण करने में मेरा कल्याण नहीं है। सूर्य का प्रकाश मुझे प्रिय है। उस प्रकाश में मैं बढ़ता रहा हूँ। सूर्य मुझे वंदनीय है। परंतु इसीलिए यदि मैं पृथ्वी पर रहना छोड़कर उसके पास जाना चाहूँगा, तो जलकर खाक हो जाऊँगा।- आचार्य विनोबा भावे
अपना उल्लू सीधा करने के लिए शैतान भी धर्म शास्त्र के हवाले दे सकता है।- शेक्सपियर
वास्तविक धर्म यह है कि जिन बातों को मनुष्य अपने लिए अच्छा नहीं समझते, दूसरों के साथ भी वैसी बात कदापि न करें।- महाभारत
संक्षेपात् कथ्यते धर्मो जना: किं विस्तरेण तु।
परोपकार पुण्याय, पापाय पर - पीडनम्।।
अर्थात हे मानवो! अधिक व्याख्या से क्या लाभ? संक्षेप में धर्म का स्वरूप बतलाता हूँ। परोपकार पुण्य के लिए है और दूसरों को कष्ट देना पाप है- यह समझ ही धर्म है।
धर्मादर्थ: प्रभवति धर्मात प्रभवते सुखम्।
धर्मेण लभते सर्व धर्म - सारमिदं जगत्।।
अर्थात धर्म से धन मिलता है। धर्म से सुख मिलता है। धर्म से सब कुछ मिलता है। संपूर्ण संसार धर्म का ही सार है।
आत्मविश्वास ही सफलता का मूल मंत्र है।
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