जैसा कि हम देख रहे हैं कि गरमी की लंबी छुट्टियों के बाद, स्कूल के आँगन में रौनक लौट आई है। आप बच्चों से ही स्कूल का हर कोना आबाद है। आप बच्चों का फिर से स्कूल आना, एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार कर रहा है।
इस अवसर पर मैं एक कविता प्रस्तुत करने जा रही हूं, जिसका शीर्षक है
-नन्हीं कोंपलों का फिर से स्वागत है!
खुशियाँ लिए, बस्ते टाँगे, फिर तुम लौटे प्यारे बच्चो।
हंसी तुम्हारी गूँज रही है, विद्या के प्रांगण में अब तो।
खाली था हर कोना पहले, सूना था हर गलियारा।
अब तुम संग अपने लाए हो, खुशियों का इक उजियारा।।
पंख लगाकर सपनों को अब, फिर से तुमको उड़ना है।
नई किताबों के पन्नों पर, ज्ञान की सीढ़ी चढ़ना है।।
हम शिक्षक भी देख रहे थे, राह तुम्हें पढ़ाने को।
नया सवेरा आया है देखो, फिर खुशियाँ बिखराने को।।
चलो मिलकर वचन लेते हैं, न छोड़ेंगे साथ परिश्रम का,
अभ्यास, लगन और एकाग्रता ही, लक्ष्य बने अब जीवन का।
स्नेह और ज्ञान की गंगा, मिलकर फिर से बहाएँगे।।
विद्या के इस मंदिर को, ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
स्वागत है तुम्हारा प्यारे बच्चो, ज्ञान की इस दुनिया में।
खिलते रहो तुम फूल के जैसे, विद्या की इस बगिया में।।
आगे बढ़ो, नाम कमाओ, रोशन करो हर एक डगर।
फिर से शुरू हो गया तुम्हारा, शिक्षा का यह नया सफर।।
धन्य
धन्यवाद। आपका दिन मंगलमय हो।
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