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वाक्य (पहचान एवं रूपांतरण)

  परिभाषा दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। उदाहरण के लिए ‘मोहन पुस्तक पढ़ता है।‘ यह एक वाक्य है क्योंकि इसका पूर्ण अर्थ निकलता है। रचना के अनुसार वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद हैं - 1 - सरल या साधारण वाक्य । 2 - संयुक्त वाक्य । 3 - मिश्र या मिश्रित वाक्य । 1 - सरल वाक्य - जिस वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है, वह सरल वाक्य कहलाता है। अर्थात् इन वाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही होती है।  सरल वाक्य के उदाहरण- 1-मोहन गाता है। 2- राजेश बीमार है। 3-माताजी ने शीला को एक साड़ी दी। इन वाक्यों में मोहन, राजेश, माताजी-उद्देश्य हैं। इनके बारे में वाक्य में जो बातें कही जा रही हैं, वह विधेय है। 2 - संयुक्त वाक्य 1-इसमें दो या दो से अधिक मुख्य तथा स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं। 2-दोनों वाक्य स्वतंत्र होते हैं तथा पूर्ण अर्थ देने में सक्षम होते हैं। 3-दो वाक्यों को समुच्चयबोधक अव्ययांे/योजकों (क्योंकि, इसलिए, तथा, और, या, अथवा, किंतु, तो आदि) से जोड़ा जाता है।  संयुक्त वाक्य के उदाहरण- 1-राम बाजार गया और फल लाया। 2-सच बोलो परंतु कटु सत्य न बोलो। 3-हम सब दिल्ली घूमने गए और वहाँ

डायरी का एक पन्ना (प्रश्नोत्तर) Diary ka ek panna

 

Meera Bai मीराबाई (प्रश्नोत्तर)

  प्रश्न 1-पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है? उत्तर - पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती अत्यंत ही चालाकी से की है। पहले उन्होंने हरि को उनकी अनंत संभावनाओं से परिचित करते हुए बताया है कि आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने हरि को उनके पूर्व में किए गए महान कार्यों की याद दिलाते हुए कहा है कि आपने भरी सभा में द्रौपदी का वस्त्र बढ़ाकर उसकी लज्जा बचाई थी, आपने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रूप धारण किया था, आपने डूबते हुए हाथी को मगरमच्छ से बचाया था। कहने का अर्थ यह है कि आप अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मैं मीराबाई भी आपकी एक दासी हूँ, अतः आप मेरी भी पीड़ा दूर कीजिए। प्रश्न 2-दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर -दूसरे पद में मीराबाई श्री कृष्ण से विनती करती हैं कि वे उन्हें अपनी दासी बना लें। वे श्याम की दासी बनकर उनकी चाकरी इसलिए करना चाहती हैं जिससे उन्हें हर समय अपने आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन प्राप्त होते रहें। वे उनका हर समय स्मरण करती रहें तथा उनकी भा