टोपी शुक्ला
उत्तर-वैसे तो टोपी शुक्ला और इफ़्फ़न-ये दोनों ही दो आज़ाद व्यक्ति थे। दोनों को अलग-अलग घरेलू परंपराएँ मिली थीं। जीवन के विषय में भी दोनों की अलग-अलग सोच थी। पर इसके बावजूद भी इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि टोपी की कहानी में इफ़्फ़न बार-बार आता है। अतः इफ़्फ़न की चर्चा किए बिना टोपी के जीवन को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता। इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला दोनों गहरे दोस्त थे। टोपी अपने मन की सारी बातें सिर्फ इफ़्फ़न को ही बताता था। टोपी को इफ़्फ़न की दादी से भी विशेष स्नेह था। वह भी टोपी को बहुत प्यार करती थीं। अतः टोपी और इफ़्फ़न की दादी के इस रिश्ते को समझने के लिए हमें इफ़्फ़न की चर्चा करना अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार हम देखते हैं कि इफ़्फ़न टोपी की कहानी का अटूट हिस्सा है।
प्रश्न 2-इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर-इफ़्फ़न की दादी एक ज़मींदार की बेटी थीं। उनके यहाँ असामियों के घर से घी पिलाई काली हाँडियों में दूध-दही आता था। अतः वह पीहर में खूब दूध, घी, दही खाती थीं, पर लखनऊ आकर वह उस दूध-दही के लिए तरस गई थीं। उन्हें पीहर जाना इसलिए अच्छा लगता था, क्योंकि वहाँ वे जी भरकर लपड़-शपड़ दही-दूध खा-पीकर अपनी इच्छा पूरी किया करती थीं।
प्रश्न 3-इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं?
उत्तर-इफ़्फ़न की दादी एक मौलवी की पत्नी थीं। मौलवी के यहाँ गाने-बजाने पर पाबंदी थी। अतः वह चाहते हुए भी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाईं और दिल मसोसकर रह गईं। परंतु इफ़्फ़न की छठी पर उन्होंने खूब गाना-बजाना किया, क्योंकि तब तक मौलवी जी की मृत्यु हो चुकी थी।
प्रश्न 4-'अम्मी' शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर-एक दिन खाना खाते समय टोपी ने अपनी माँ से बैंगन का भुर्ता माँगते हुए कहा, "अम्मी, ज़रा बैंगन का भुरता"। बस, फिर क्या था? 'अम्मी' शब्द सुनते ही खाना खाते सभी लोगों के हाथ वहीं के वहीं रुक गए। सबकी नज़रें टोपी के चेहरे पर जम गईं। परम्पराओं की दीवारें डोलने लगीं। घर में सभी हैरान थे कि मुस्लिम परिवारों में बोला जाने वाला यह 'अम्मी' शब्द टोपी ने कहाँ से सीखा? दादी नाराज़ हो, खाना छोड़कर उठ खड़ी हुईं और माँ ने टोपी की जमकर पिटाई की।
प्रश्न 5-दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता है?
उत्तर-दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का वैसे तो इतिहास में कोई खास महत्व नहीं है, पर टोपी के जीवन में इस दिन का विशेष महत्व है। इसी दिन उसके सबसे प्रिय मित्र इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया था और वे बदली होकर सपरिवार मुरादाबाद चले गए थे। इस तबादले से कुछ दिन पहले ही इफ़्फ़न की दादी का देहांत हो चुका था। टोपी इफ़्फ़न की दादी से बहुत प्यार करता था, अतः उनके जाने से वह पहले ही उदास था, पर अब अपने प्रिय मित्र इफ़्फ़न के दूसरे शहर जाने पर तो वह बिल्कुल ही अकेला पड़ गया था। अतः उसने कसम खाई कि वह ऐसे किसी लड़के से दोस्ती नहीं करेगा, जिसके पिता की बदली होती रहती हो।
प्रश्न 6-टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर-टोपी को इफ़्फ़न की दादी से गहरा लगाव था। दादी भी टोपी से बहुत प्रेम करती थीं। इफ़्फ़न की अम्मी और बड़ी बहन जब टोपी को उसकी बोली सुनने के लिए छेड़ा करती थीं, उस समय दादी ही बीच-बचाव करती थीं। टोपी की माँ और इफ़्फ़न की दादी की बोली भी एक जैसी थी। यही बोली टोपी के दिल में उतर गई थी। उसे अपनी दादी से तो नफ़रत थी। उसे उनकी भाषा और स्वभाव कुछ भी पसंद न था। वह इफ़्फ़न की दादी जैसे उसे कहानी भी नहीं सुनाती थीं और इफ़्फ़न से दोस्ती करने तथा उसके घर जाने से भी रोकती थीं। इसलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।
प्रश्न 7-पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर-इफ़्फ़न की दादी उसे बहुत प्यार करती थीं। पूरे घर में एकमात्र वही थीं, जिन्होंने इफ़्फ़न का दिल कभी नहीं दुखाया था। उसकी अम्मी और बाजी उसे डाँट दिया करती थीं। छोटी बहन नुज़हत भी उसे परेशान करती थी। अब्बू भी अकसर घर को कचहरी समझकर फैसले सुना दिया करते थे। पर दादी उसको रात में अनार परी, बहराम डाकू, अमीर हमज़ा, गुलबकाबली, हातिमताई आदि की कहानियाँ सुनाया करती थीं। यही कारण था कि इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह था।
प्रश्न 8-इफ़्फ़न की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर-टोपी को इफ़्फ़न के घर में उसकी दादी से ही लगाव था। दादी भी टोपी को इफ़्फ़न के समान ही प्रेम किया करती थीं। वह टोपी से उसकी माँ का हाल-चाल पूछा करतीं और जब टोपी की बोली सुनने के लिए इफ़्फ़न की बहन और अम्मी टोपी को छेड़ा करतीं, तो दादी ही बीच-बचाव करतीं। उनकी मृत्यु के बाद टोपी को ऐसा लगा, मानो उसके सिर से उसकी दादी की छत्रछाया ही समाप्त हो गई हो। उसने इफ़्फ़न की दादी के मरने पर यह तक कह दिया कि इससे अच्छा तो मेरी दादी मर गई होतीं। वह तो इफ़्फ़न के घर उसकी दादी से ही मिलने जाता था। इसलिए उनके मरने के बाद अन्य लोगों से भरा होने के बावजूद उसे इफ़्फ़न का घर खाली सा लगा।
प्रश्न 9-टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर-टोपी हिन्दू धर्म का था, जबकि इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम थीं। टोपी 8 साल का बच्चा था, जबकि इफ़्फ़न की दादी की उम्र 72 वर्ष थी। परन्तु कहते हैं कि प्रेम जाति-धर्म, खून के रिश्ते आदि नहीं देखता। कम-से-कम एक बच्चा तो उसी को अपना मानेगा, जिससे उसे प्यार मिलता हो। टोपी पर भी यह बात पूरी तरह चरितार्थ थी। उसे अपनी दादी और उनकी भाषा दोनों से ही नफरत थी। उसे तो इफ़्फ़न की दादी और उनकी पुरबिया भाषा से प्यार था। भले ही टोपी ने इफ़्फ़न की दादी के हाथ का कभी कुछ नहीं खाया था, परंतु प्यार इन सब बातों का पाबंद नहीं होता। जिस तरह टोपी अपने घर में अकेला और उपेक्षित था, उसी तरह इफ़्फ़न की दादी भी भरे पूरे घर में अकेली थीं। अतः दोनों ने एक-दूसरे में प्यार और अपनापन खोज लिया था। दोनों ने एक-दूसरे की प्यार की कमी को पूरा कर दिया था। दोनों ही अलग-अलग मजहब और जाति के होने पर भी आपस में एक अनजान और अटूट रिश्ते से बँधे थे। इनके रिश्तों की गहराई को दोनों के परिवार वाले ही नहीं समझ पाए थे।
प्रश्न 10- टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए−
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
उत्तर-
(क) टोपी पढ़ने में बुद्धू नहीं था, पर फिर भी वह नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। पहली बार फेल होने का कारण यह था कि वह जब भी पढ़ने बैठता, उसका छोटा भाई मुन्नी बाबू उसकी कॉपी-किताबें फाड़ डालता या उसकी माँ रामदुलारी उसे कोई-न-कोई चीज़ खरीदने के लिए बाजार भेज देती। इस कारण पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होने के कारण वह फेल हो गया। दूसरे साल वह इसलिए फ़ेल हो गया, क्योंकि उसे टाइफाइड हो गया था।
(ख) जब टोपी पहली बार नवीं कक्षा में फेल हुआ, तो उसे उन छात्रों के साथ बैठना पड़ता, जो आठवीं पास करके नवीं में आए थे। उनमें से कोई उसका दोस्त नहीं बन पाया था। दूसरे साल फेल होने पर उसे सातवीं के बच्चों के साथ बैठना पड़ता था। अब तक उसके साथी ग्यारहवीं में पहुँच चुके थे। अतः वह कक्षा में भी अकेला हो गया और स्कूल में भी। यदि कक्षा का कोई बच्चा पढ़ाई में मन न लगाता, तो अध्यापक उन्हें टोपी के नाम का उदाहरण देकर ताना मारते थे। मास्टरों ने उसे नोटिस करना भी बंद कर दिया था। जब वह उत्तर देने के लिए हाथ उठाता, तो उसका यह कहकर मज़ाक उड़ाते कि तुम से तो अगली साल पूछ लेंगे, क्योंकि तुम्हें तो इसी कक्षा में रहना है। कक्षा के छात्र भी कहते कि तू हम से दोस्ती क्यों कर रहा है? हम तो अगली कक्षा में चले जाएँगे, तू तो आठवीं वालों से दोस्ती कर, क्योंकि वही अगली साल तेरे साथ इस कक्षा में होंगे। इस तरह उसे फेल होने पर अनेक भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
(ग) फेल होने के बाद टोपी को अनेक भावात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। अन्य बच्चों के साथ ऐसा न हो, इसके लिए शिक्षा व्यवस्था में निम्नलिखित बदलाव होने चाहिए-
1-सिर्फ पाठ्यक्रम या पुस्तकीय ज्ञान के आधार पर ही छात्रों के ज्ञान को नहीं परखना चाहिए, बल्कि पाठ्येतर क्रिया-कलाप, जैसे-खेलकूद, नृत्य-संगीत, अनुभव आदि के आधार पर भी उन्हें अंक प्रदान किए जाने चाहिए।
2-वार्षिक परीक्षा को ही अगली कक्षा में जाने का आधार न समझकर पूरे वर्ष होने वाली परीक्षाओं के अंकों को भी आधार मानना चाहिए, क्योंकि कई बार बीमारी या अन्य कारणों से वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आ पाते।
3-छात्र-छात्राओं के फेल होने की वजह जानने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका मज़ाक उड़ाने की बजाय उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए।
4-पाठ्यक्रम में हर साल आवश्यक बदलाव होने चाहिए, जिससे फेल होने वाले छात्रों की नए पाठ्यक्रम में रुचि बनी रहे और उन्हें यह ताना भी न सुनना पड़े कि तुम तो यह सब पहले भी पढ़ चुके हो, अतः तुम्हें तो सब मुँह जुबानी याद होगा।
प्रश्न 11-इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर-कस्टोडियन वह सरकारी विभाग है, जो उस संपत्ति को अपने कब्जे में कर लेता है, जिस पर किसी का मालिकाना हक नहीं होता। जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान बँटवारे के बाद इफ़्फ़न की दादी के मायके वाले पाकिस्तान में रहने लगे, तो भारत में उनके घर पर किसी का मालिकाना हक न रहा। अतः वह मायके वाला घर सरकारी कब्जे यानी कस्टोडियन में चला गया।
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