भोर और बरखा
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1-'बंसीवारे ललना’ ‘मोरे प्यारे लाल जी’ कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और कौन-कौन-सी बातें कहती हैं?
उत्तर-‘बंसीवारे ललना’ ‘मोरे प्यारे’ व ‘लाल जी’ कहते हुए यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं। वह उनसे कहती हैं कि हे मेरे लाल! अब जाग जाओ, क्योंकि रात बीत गई है और सुबह हो गई है। सबके घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही मथ रही हैं। सभी देव और मानव द्वार पर खड़े होकर तुम्हारे दर्शनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ग्वालों के बच्चे जय-जय के स्वर का शोर कर रहे हैं। ग्वाले हाथों में माखन-रोटी लेकर गाय चराने जाने को तैयार हैं। अतः अब तुम भी उठ जाओ।
उत्तर-‘बंसीवारे ललना’ ‘मोरे प्यारे’ व ‘लाल जी’ कहते हुए यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं। वह उनसे कहती हैं कि हे मेरे लाल! अब जाग जाओ, क्योंकि रात बीत गई है और सुबह हो गई है। सबके घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही मथ रही हैं। सभी देव और मानव द्वार पर खड़े होकर तुम्हारे दर्शनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ग्वालों के बच्चे जय-जय के स्वर का शोर कर रहे हैं। ग्वाले हाथों में माखन-रोटी लेकर गाय चराने जाने को तैयार हैं। अतः अब तुम भी उठ जाओ।
प्रश्न 2-नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए-
'माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।’
उत्तर-इस पंक्ति में माँ यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को जगाते हुए कहती हैं कि हे पुत्र! गायों के रखवाले अर्थात ग्वाले हाथों में मक्खन और रोटी लेकर गाय चराने जाने को तैयार हो चुके हैं। कहने का अर्थ है कि दिन निकल आया है। अतः अब तुम भी जाग जाओ।
प्रश्न 3-पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।
उत्तर-ब्रज में भोर होते ही घर-घर के द्वार खुल जाते हैं। ग्वालनें दही बिलोने लगती हैं, दही बिलोते समय उनके कंगन की मधुर झंकार वातावरण में गूँजने लगती है। ग्वालों के बच्चे ईश्वर की जय-जयकार करने लगते हैं। ग्वाले हाथों में माखन-रोटी लेकर वन में गायों को चराने ले जाने के लिए तैयार होने लगते हैं।
उत्तर-ब्रज में भोर होते ही घर-घर के द्वार खुल जाते हैं। ग्वालनें दही बिलोने लगती हैं, दही बिलोते समय उनके कंगन की मधुर झंकार वातावरण में गूँजने लगती है। ग्वालों के बच्चे ईश्वर की जय-जयकार करने लगते हैं। ग्वाले हाथों में माखन-रोटी लेकर वन में गायों को चराने ले जाने के लिए तैयार होने लगते हैं।
प्रश्न 4-मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?
उत्तर-मीरा को सावन मनभावन इसलिए लगने लगा, क्योंकि सावन की फुहारें मन को भाने वाली (अच्छी लगने वाली) होती हैं। ये फुहारें मन में उमंग जगा रही हैं तथा सावन की काली बदली के रूप में साँवले श्रीकृष्ण के आने का आभास हो रहा है।
उत्तर-मीरा को सावन मनभावन इसलिए लगने लगा, क्योंकि सावन की फुहारें मन को भाने वाली (अच्छी लगने वाली) होती हैं। ये फुहारें मन में उमंग जगा रही हैं तथा सावन की काली बदली के रूप में साँवले श्रीकृष्ण के आने का आभास हो रहा है।
प्रश्न 5-पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-सावन के आते ही आसमान में चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़कर आ जाते हैं। बिजली चमकने लगती है। वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूँदें लगातार बरसती रहती हैं। शीतल हवाएँ चलने लगती हैं, जिससे यह मौसम और भी सुहावना लगने लगता है।
उत्तर-सावन के आते ही आसमान में चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़कर आ जाते हैं। बिजली चमकने लगती है। वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूँदें लगातार बरसती रहती हैं। शीतल हवाएँ चलने लगती हैं, जिससे यह मौसम और भी सुहावना लगने लगता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें