रचना की दृष्टि से शब्दों के तीन भेद होते हैं — 1-रूढ़ 2-यौगिक 3-योगरूढ़ 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 रूढ़ शब्द वे होते हैं, जिनके टुकड़े करने पर उनके अर्थ नहीं निकलते। जैसे — हाथी, फूल, कक्षा आदि। 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ यौगिक शब्द दो सार्थक शब्दों के योग से बनते हैं, जैसे — प्रधानमंत्री, राजपुत्र, रसोईघर आदि। 💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥 योगरूढ़ वे शब्द होते हैं, जो यौगिक की तरह दो शब्दों से बनते हैं, परंतु वे किसी खास अर्थ के लिए रूढ़ हो गये होते हैं, जैसे — पंकज। यह दो शब्दों से बना है -पंक (कीचड़) ज (जन्म लेने वाला)। कीचड़ में भले ही कितनी भी वस्तुएँ जन्म लेती हों, परंतु 'पंकज' शब्द 'कमल' के लिए रूढ़ हो चुका है। योगरूढ़ के अन्य उदाहरण हैं -नीलकंठ (शिवजी), लंबोदर (भगवान गणेश) इत्यादि।