मॉडल टैस्ट पेपरप्रथम सत्र परीक्षा 2021-22कक्षा-नौविषय-हिंदी ‘ब‘
समय सीमा-एक घंटा तीस मिनट अंक-40
सामान्य निर्देश-
इस प्रश्न पत्र में तीन खंड हैं-खंड ‘क‘, ‘ख‘ और ‘ग‘।
खंड ‘क‘ में कुल 2 प्रश्न पूछे गए हैं। दोनों प्रश्नों के कुल 20 उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 10 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए
खंड ‘ख‘ में 16 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
खंड ‘ग‘ में कुल 3 प्रश्न हैं तथा 14 उपप्रश्न सम्मिलित हैं। सभी उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
खंड ‘क‘ अपठित गद्यांश
प्रश्न 1-नीचे 2 गद्यांश दिए गए हैं। किसी गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
गद्यांश-1
नोट-यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या दो में दिए गए
गद्यांश एक पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं। 1×5=5
यह संतोष और गर्व की बात है कि देश वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति कर रहा है। विश्व के समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देशों से टक्कर ले रहा है और उनसे आगे निकल जाना चाहता है, किंतु इस प्रगति के उजले पहलू के साथ एक धुँधला पहलू भी है जिससे हम छुटकारा चाहते हैं। वह है नैतिकता का पहलू। यदि हमारे हदय में सत्य, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और मानवीय भावनाएँ नहीं हैं, देश के मान-सम्मान का ध्यान नहीं है तो सारी प्रगति निरर्थक होगी। आज यह आम धारणा है कि बिना हथेली गर्म किए साधारण-सा काम भी नहीं हो सकता। भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्ट जनसेवकों में अपना घर भरने की होड़ लगी है। उन्हें न समाज की चिंता है, न देश की। समाचार-पत्रों में अब ये रोजमर्रा की घटनाएँ हो गई हैं। लोग मान बैठे हैं कि यही हमारा राष्ट्रीय चरित्र है, जब कि वह सच नहीं है। नैतिकता मरी नहीं है, पर प्रचार अनैतिकता का हो रहा है। लोगों में यह धारणा घर करती जा रही है कि जब बड़े लोग ही ऐसा कर रहे हैं तो हम क्या करें? सबसे पहले तो इस सोच से मुक्ति पाना जरूरी है और उसके बाद यह संकल्प कि भ्रष्टाचार से मुक्त समाज बनाएँगे। उन्हें बेनकाब करेंगे जो देश के नैतिक चरित्र को बिगाड़ रहे हैं।
(1) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक होगा-
अ-भ्रष्टाचार से मुक्ति ब-नैतिकता भी एक पहलू स-देश के प्रति हमारा कर्तव्य द-सभी विकल्प सही हैं
(2) देशवासियों के लिए गर्व की बात क्या है?
अ-देश वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रगति कर रहा है ब-देश औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति कर रहा है
स-देश समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देशों से टक्कर ले रहा है द-सभी विकल्प सही हैं
(3) नैतिक चरित्र से लेखक का क्या आशय है?
अ-मानवीयता से ब-कर्तव्यनिष्ठा से स-ईमानदारी से द-सभी विकल्प सही हैं
(4) आज के समय में लोगों की आम धारणा क्या बन गई है?
अ-देश में देशभक्त हैं ब-देश में कर्तव्य के प्रति लोग कर्तव्यनिष्ठ हैं
स-चारों ओर ईमानदार लोग हैं द-बिना हथेली गर्म किए साधारण-सा काम भी नहीं हो सकता।
(5) समाज अनैतिक पहलू से कैसे मुक्ति पा सकता है?
अ-दृढ़ निश्चयी बनकर ब-धनी बनकर स-ऊँचा सामाजिक पद पाकर द-उपरोक्त सभी
अथवा गद्यांश-2
नोट-यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या दो में दिए गए
गद्यांश दो पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।
पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे-बडे़ होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक ‘बड़ी सोच का बड़ा कमाल’-में लिखते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। ‘भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार-बार सोचे। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं,
अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि वह उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते-देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं-महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए-
(1) गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है?-
अ-आशावादी व साहसी व्यक्ति ब-स्वस्थ व्यक्ति स-संन्यासी व्यक्ति द-नौकरी पेशा व्यक्ति
(2) भारतीय विचारधारा में......................... मनुष्य जैसा बनना चाहता है, वैसा बन जाता है-
अ-संकल्प और चिंतन के द्वारा ब-महान रचना द्वारा स-बार-बार ईश्वर को याद करके द-इनमें से कोई नहीं
(3) उपर्युक्त गद्यांश में किन मुहावरों का प्रयोग हुआ है?
अ-ऊँचाइयों को छूना ब-मुँह मोड़ना स-बड़ी सोच का बड़ा कमाल द-‘अ’ एवं ‘ब’ दोनों विकल्प सही हैं
(4) ‘महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है’-नामक कथन किसका है?-
अ-भारतीय चिंतन का ब-हैजलिट का स-स्वेट मार्डेन का द-ऋषियों का
(5) व्यक्ति को अपने मन में किन चीजों को स्थान नहीं देना चाहिए?-
अ-दरिद्रता को ब-नीचता को स-कुविचार को द-सभी विकल्प सही हैं
प्रश्न 2-नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
गद्यांश-1
नोट-यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या एक में दिए गए
गद्यांश एक पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं। 1×5=5
आज का विद्यार्थी भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा; वह भविष्य में क्या बनेगा; इस प्रश्न को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए ज़रूर, लेकिन भविष्य को वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए, क्योंकि वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है, अतः नींव को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि भान तो भविष्य का भी हो, लेकिन ध्यान वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि आप एक स्वप्न लें; सोचे; कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें। वर्तमान रूपी नींव को मजबूत करें और यदि वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन भी अवश्य बन जाएगा । जितनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें। यह सोचते हुए समय खराब न करें कि अब मेरा क्या होगा, मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट कर देता है। वर्तमान में समय का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है। भविष्य के बारे में अधिक सोच या अधिक चर्चा करने से चिंताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के कर्मों में बाधा उत्पन्न करती हैं ये बाधाएँ हमारे उत्साह को, लगन को धीमा करती हैं और लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता हैं निसंदेह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्वपूर्ण है।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए-
(1) आज का विद्यार्थी अपना बहुमूल्य समय किन बातों में नष्ट कर देता है?
अ-भविष्य की सोच में ब-दिवास्वप्न देखने में स-‘अ’ एवं ‘ब’ दोनों विकल्प सही हैं द-कल्पनाओं की उड़ान में
(2) वर्तमान में समय का सदुपयोग किसमें सहायक होता है?
अ-भूतकाल के कार्यों में ब-भविष्य के निर्माण में स-चिंताओं में द-कोरी बातें बनाने में
(3) वर्तमान के कार्यों में कौन बाधा उत्पन्न कर देता है?
अ-चिंताएँ ब-परिवार स-शिक्षा द-धर्म
(4) ......................................भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्वपूर्ण है?
अ-वर्तमान का परिश्रम ब-समय का सदुपयोग स-आशावादी होना द-उपर्युक्त सभी
(5) हम अंततः लक्ष्य से कैसे दूर होते चले जाते हैं?
अ-भविष्य के बारे में अधिक सोचने से ब-अतीत पर अधिक ध्यान देने से
स-निराशा को जीवन में स्थान न देने से द-परिश्रम पर ज़ोर देने से
अथवा गद्यांश-2
यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखें कि आप प्रश्न संख्या एक में दिए गए गद्यांश दो पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैंं।
बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास पाती हैं, बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पड़कर दुनिया पर कब्जा करती हैं। अकबर ने 13 साल की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को परास्त कर दिया था, जिसका एकमात्र कारण यह था कि अकबर का जन्म रेगिस्तान में हुआ था और वह भी उस समय, जब उसके पिता के पास एक कस्तूरी को छोड़कर और कोई दौलत नहीं थी। महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे, मगर फिर भी जीत पांडवों की हुई, क्योंकि उन्होंने लाक्षागृह की मुसीबत झेली, वनवास के जोखिम को पार किया था। विंस्टन चर्चिल ने कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी दौलत हिम्मत है। आदमी के और सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं। जिंदगी की दो ही सूरतें है। एक तो यह कि आदमी बड़े-से-बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अँधियारे का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए। दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहुत अधिक दुख पाने का ही संयोग है, क्योंकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं जहाँ न तो जीत हँंसती है और न कभी हार के रोने की आवाज़ सुनाई देती है। इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बँधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वो ज़िंदगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते। और कौन कहता है कि पूरी ज़िंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है? अगर रास्ता आगे ही निकल रहा है तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही है।
साहस की ज़िंदगी सबसे बड़ी जिं़दगी होती है। ऐसी ज़िंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीनेवाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता का प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चला, यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए-
(1) किसी का अनुकरण न करना............. का लक्षण है।
अ-जनमत का ब-क्रांतिकारियों का स-आत्मतत्व का द-ताकत का
(2) कहाँ पर कौरवों द्वारा पाण्डवों को जिं़दा जलाने का प्रयास किया गया?
अ-लाक्षागृह में ब-प्रभास क्षेत्र में स-हस्तिनापुर में द-इनमें से कोई नहीं
(3) ‘दुनिया की सबसे बड़ी दौलत हिम्मत है’-नामक वाक्य किसके द्वारा कहा गया है?
अ-अकबर ब-विंस्टन चर्चिल स-बड़ी हस्तियों द-पाण्डवों
(4) ‘जहाँ न तो कभी जीत हँसती है और न कभी हार’-ऐसे लोगों को लेखक ने ..................कहा है-
अ-साहसी व्यक्ति ब-गोधूलि वाली दुनिया के लोग स-बेखौफ़ आत्माएँ द-क्रांतिकारी
(5) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक क्या है?-
अ-हिम्मत से बढ़कर है जिं़दगी ब-मुसीबतों का धैर्यपूर्वक सामना स-साहस की जिं़दगी द-आनंद की अनुभूति
खंड ‘ख‘ व्यावहारिक व्याकरण
निर्देश-इस खंड के प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के रूप में चार-चार विकल्प दिए गए हैं। आपको उनमें से सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प को चुनना है। 1×16=16
प्रश्न 3-‘शब्द‘ कब पद बन जाता है?
(अ)-जब वह वाक्य में प्रयुक्त होता है
(ब)-जब वह व्याकरणिक इकाइयों से जुड़ जाता है
(स)-विकल्प संख्या ‘अ‘ एवं ‘ब‘ दोनों सही हैं
(द)-सभी विकल्प गलत हैं
प्रश्न 4-रेखांकित पद का नाम लिखिए-‘सीता ध्यानपूर्वक पढ़ती है।‘
(अ)-संज्ञा
(ब)-विशेषण
(स)-क्रिया विशेषण
(द)-क्रिया
प्रश्न 5-निम्नलिखित में से उचित स्थान पर अनुस्वार के प्रयोग वाले शब्द को छाँटिए-
(अ)-मंयक
(ब)-सयंम
(स)-स्वयं
(द)-स्वंतत्रता
प्रश्न 6-निम्नलिखित में से सही स्थान पर अनुनासिक के प्रयोग वाले शब्द को छाँटिए-
(अ)-माँगूँगा
(ब)-पूँछूँगा
(स)-सोचूँगाँ
(द)-चाहूगाँ
प्रश्न 7-‘प्रतिक्रिया‘ में प्रयुक्त उपसर्ग बताइए-
(अ)-प्र
(ब)-पर
(स)-प्रति
(द)-प्रत
प्रश्न 8-निम्नलिखित में से किस शब्द में उपसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ है?
(अ)-सुनयना
(ब)-चौराहा
(स)-कुलीन
(द)-विगत
प्रश्न 9-किस शब्द मंे प्रत्यय नहीं है?
(अ)-स्थिति
(ब)-कृपालु
(स)-प्राणायाम
(द)-थकावट
प्रश्न 10-‘‘पुरुषत्व’ में कौन-सा प्रत्यय है?
(अ)-ता
(ब)-त
(स)-त्व
(द)-व
प्रश्न 11-श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द युग्म ‘अतुल-अतल’ का अर्थ है-
(अ)-जिसकी तुलना न हो-तलहीन
(ब)-भारी-हलका
(स)-आकाश-पाताल
(द)-तुलना के योग्य-अतुलनीय
प्रश्न 12- श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द युग्म ‘कृत-क्रीत’ का अर्थ है-
(अ)-आया-गया
(ब)-बेचा गया-खरीदा गया
(स)-रचना-किया हुआ
(द)-किया हुआ-खरीदा हुआ
प्रश्न 13-इनमें से कौन-सा शब्द ‘तालाब’ का पर्यायवाची नहीं है-
(अ)-सर
(ब)-सरोवर
(स)-जलाशय
(द)-जलधर
प्रश्न 14-इनमें से कौन-सा शब्द ‘गंगा’ का पर्यायवाची नहीं है?
(अ)-सुरनदी
(ब)-तटिनी
(स)-त्रिपथगा
(द)-जाह्नवी
प्रश्न 15-‘उपयोगी’ शब्द का विलोम शब्द बताइए-
(अ)-अनुपयोगी
(ब)-सदुपयोगी
(स)-अपयोगी
(द)-दुरुपयोगी
प्रश्न 16-‘मीठा’ शब्द का विलोम शब्द बताइए-
(अ)-खट््टा
(ब)-तीखा
(स)-कड़वा
(द)-नमकीन
प्रश्न 17-‘दीर्घायु भव।’- अर्थ की दृष्टि से वाक्य का भेद बताइए-
(अ)-संकेतवाचक
(ब)-विस्मयवाचक
(स)-विधानवाचक
(द)-इच्छावाचक
प्रश्न 18-बच्चे कक्षा में पढ़ रहे हैं।-इस वाक्य से बना संदेहवाचक वाक्य है-
(अ)-क्या बच्चों को कक्षा में पढ़ना चाहिए?
(ब)-बच्चे कक्षा में पढ़ रहे होंगे।
(स)-मैं चाहता हूँ बच्चे कक्षा में पढ़ें।
(द)-बच्चे कक्षा में नहीं पढ़ रहे हैं।
खंड ‘ग‘ पाठ्य पुस्तक
प्रश्न 19-निम्नलिखित पठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। इस पर आधारित प्रत्येक प्रश्न के चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प छाँटकर लिखिए- 1×5=5
उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी।
उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से मूर्छा आ जाती थी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुक सकते थे। दो-दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे। हरदम सिर पर बर्फ रखी जाती थी। शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।
(क) ‘उस पुत्र वियोगिनी ..........‘- शब्दों के माध्यम से लेखक किसके दुख के विषय में बता रहे हैं?
(1)-अपने दुख के विषय में
(2)-संभ्रांत महिला के दुख के विषय में
(3)-बुढ़िया के दुख के विषय में
(4)-इनमें से किसी के नहीं
(ख) संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु कब हुई थी?
(1)-अढ़ाई मास पहले
(2)-पिछले वर्ष
(3)-दोनों विकल्प सही हैं
(4)-उपर्युक्त सभी विकल्प गलत हैं
(ग) पुत्र वियोग में संभ्रांत महिला की स्थिति क्या हो गई थी?
(1)-उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद मूर्छा आ जाती थी
(2)-आँखों से आँसू नहीं रुकते थे
(3)-दो डॉक्टर हरदम उनकी निगरानी किया करते थे
(4)-उपर्युक्त सभी विकल्प सही हैं
(घ) ‘शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे।‘-इस पंक्ति का आशय है-
(1)-लोगों के मन खुशी से फूले नहीं समा रहे थे।
(2)-सभी लोग बहुत दुखी हो उठे थे।
(3)-सभी लोग उसके दुख की तुलना बुढ़िया के दुख से करने लगे थे।
(4)-सारा शहर संभ्रांत महिला को सांत्वना देने लगा था।
(ङ) ‘संभ्रांत महिला‘ से क्या तात्पर्य है?
(1)-दुखी महिला
(2)-बूढ़ी महिला
(3)-पुत्र वियोगिनी महिला
(4)-प्रतिष्ठित या कुलीन महिला
प्रश्न 20-निम्नलिखित पठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। इस पर आधारित प्रत्येक प्रश्न के चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प छाँटकर लिखिए- 1×5=5
जब अप्रैल में मैं बेस कैंप में थी, तेनजिंग अपनी सबसे छोटी सुपुत्री डेकी के साथ हमारे पास आए थे। उन्होंने इस बात पर विशेष महत्त्व दिया कि दल के प्रत्येक सदस्य और प्रत्येक शेरपा कुली से बातचीत की जाए। जब मेरी बारी आई, मैंने अपना परिचय यह कहकर दिया कि मैं बिलकुल ही नौसिखिया हूँ और एवरेस्ट मेरा पहला अभियान है। तेनजिंग हँसे और मुझसे कहा कि एवरेस्ट उनके लिए भी पहला अभियान है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि शिखर पर पहुँचने से पहले उन्हें सात बार एवरेस्ट पर जाना पड़ा था। फिर अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हुए उन्होंने कहा, ‘‘तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहँुच जाना चाहिए।‘‘
(क) तेनजिंग कौन थे?
(1)-एक बहुत बड़े राजनेता थे।
(2)-बचेंद्री पाल के रिश्तेदार थे।
(3)-एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति थे।
(4)-अभियान दल के नेता थे।
(ख) तेनजिंग ने किस बात पर महत्त्व दिया?
(1)-प्रत्येक सदस्य एवं शेरपा कुली से बात करनी चाहिए।
(2)-प्रत्येक सदस्य को एवरेस्ट पर चढ़ना चाहिए।
(3)-प्रत्येक सदस्य को अपना सामान स्वयं उठाना चाहिए।
(4)-कुछ दिन कैंप मे रुकना चाहिए।
(ग) एवरेस्ट किसका पहला अभियान था?
(1)-शेरपा कुलियों का
(2)-डेकी का
(3)-तेनजिंग का
(4)-बचेंद्री पाल का
(घ) तेनजिंग को एवरेस्ट शिखर पर पहुँचने से पहले सात बार एवरेस्ट पर क्यों चढ़ना पड़ा था?
(1)-क्योंकि वे सातवीं बार में एवरेस्ट शिखर पर पहुँचे थे
(2)-क्योंकि एवरेस्ट पर सात बार चढ़कर ही कोई चोटी तक जा पाता है
(3)-क्योंकि वे एवरेस्ट की ऊँचाई का अंदाज़ा लगाना चाहते थे
(4)-उपर्युक्त सभी विकल्प सही हैं
(ङ) बचेंद्री पाल की तारीफ़ में तेनजिंग ने क्या शब्द कहे?
(1)-तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो।
(2)-तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहँुच जाना चाहिए।
(3)-विकल्प संख्या ‘1’ एवं ‘2’ दोनों सही हैं।
(4)-सभी विकल्प गलत हैं।
प्रश्न 21-निम्नलिखित पठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। इस पर आधारित प्रत्येक प्रश्न के चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प छाँटकर लिखिए- 1×4=4
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा॥
(क) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रैदास जी ने किसका वर्णन किया है-
(1)-अपने प्रकृति प्रेम का
(2)-अपने भक्ति भाव का
(3)-अपने मातृत्व भाव का
(4)-अपने पितृत्व भाव का
(ख) कविवर रैदास जी को किसके नाम की रट लग गई है-
(1)-अपने माता-पिता के नाम की
(2)-अपने गुरूओं के नाम की
(3)-अपने मित्रों के नाम की
(4)-अपने प्रभु के नाम की
(ग) कवि ने चंदन और पानी का उदाहरण किस संदर्भ में दिया है-
(1)-ईश्वर के साथ अपनी अटूट भक्ति भावना प्रकट करने के लिए।
(2)-ईश्वर के साथ अपनी टूट भक्ति भावना प्रकट करने के लिए।
(3)-माता-पिता के प्रति अपनी अटूट भक्ति भावना प्रकट करने के लिए।
(4)-अपने मित्रों के प्रति अपनी अटूट भक्ति भावना प्रकट करने के लिए।
(घ) चकोर नामक पक्षी प्रेमवत् किसकी ओर ताकता रहता है?
(1)-सूर्य की ओर
(2)-ईश्वर की ओर
(3)-कवि की ओर
(4)-चंद्रमा की ओर
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