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कक्षा-सात, कठपुतली

कठपुतली

 (प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1-कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर-कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वह धागे में बँधी हुई है। वह पराधीन है। वह दूसरों के इशारों पर चलने को मज़बूर है। इसलिए वह अपनी इस पराधीनता को गुस्से के द्वारा व्यक्त करती है।


प्रश्न 2-कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उत्तर-कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह इसलिए खड़ी नहीं हो पाती, क्योंकि उसे धागों में बाँधा हुआ है। वह पुरुषों के इशारों पर चलने को मज़बूर है। उसके अन्दर स्वतंत्र होने की इच्छा तो है, पर अपने हक के लिए लड़ने की सामर्थ्य नहीं है और न ही अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति है। उसे यह भी डर लगता है कि कहीं उसके द्वारा उठाया गया कदम अन्य कठपुतलियों को कठिनाई में न डाल दे।


प्रश्न 3-पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उत्तर-जब पहली कठपुतली ने बंधन-मुक्त होने की बात कही तो उसकी यह बात दूसरी कठपुतलियों को भी अच्छी लगी, क्योंकि वे भी पहली कठपुतली की तरह ही धागों से बँधी हुई थीं और सदियों से गुलामी का जीवन जी रही थीं। वे सब भी बंधन-मुक्त होकर अपनी इच्छा से जीवन जीना चाहती थीं। 


प्रश्न 4-पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे, क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? इन्हें तोड़ दो, मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा, मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-


  • उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।

  •  उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।

  •  वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।

  •  वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।


उत्तर-पहली कठपुतली गुलामी का जीवन नहीं जीना चाहती, इसलिए वह अपने को बंधनों से मुक्त करना चाहती है। उसकी बात सुनकर अन्य कठपुतलियाँ भी उसका समर्थन करती हैं। वे सब भी स्वतंत्र होने की इच्छा जगाती हैं। जैसे ही पहली कठपुतली को लगता है कि इन सब कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी भी मेरे ऊपर आ रही है, वैसे ही वह घबरा जाती है। अभी उसकी उम्र भी कम है और उसमें इतनी शक्ति तथा सामर्थ्य भी नहीं है कि वह सबकी ज़िम्मेदारियों को अपने ऊपर उठा सके। इसलिए वह चिंतित हो जाती है और सोचती है कि मुझे सोच-समझकर ही कदम उठाना चाहिए।


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