जिस प्रकार समस्त गुण 'विनम्रता' में आश्रय पाते हैं, उसी प्रकार सारे गुण 'अहंकार' का आश्रय पाते ही नष्ट भी हो जाते हैं। जिस प्रकार समस्त गुण 'विनम्रता' में आश्रय पाते हैं, उसी प्रकार सारे अवगुण 'अहंकार' के आश्रय में फलते-फूलते हैं। परम ज्ञानी रावण इसका जीता-जागता उदाहरण है। अतः विनम्र बनें, अहंकारी नहीं। पेड़-पौधे, नदियाँ-झरने पाते यदि बोल, सबसे पहले मानव की ही खोलते वो पोल। सबसे पहले मानव की खोल देते पोल। एक ओर तो पूजता पूजा करके हमारी फिर बर्बाद धरती को कर रहा समझ न पाया कया मोल
उस पथ का पथिक होना भी क्या जिस पर बिखरे शूल न हों। उस नाव का खेना भी क्या खेना जिसकी धारा प्रतिकूल न हो।। दिल में अरमान रखता हूँ चाहे जाऊँ जहाँ भी ये हिंदुस्तान दिल में रखता हूँ वो कौन हैं जो डटे हैं मुझे हराने के लिए किसमें दम है मुझे हटाने के लिए आज भी करोड़ों खड़े हैं सिर कटाने के लिए। । फूल बनकर ही खिलना चमन के लिए, कोशिशें खूब करना अमन के लिए, यूँ तुम्हारा, न हो बाल बाँका कभी, पर, हो ज़रूरी तो मिटना वतन के लिए।। जीवन पथ है संघर्ष पथ, निरंतर आगे बढ़ते जाना है। इस उपलब्धि को मंजिल समझ, नहीं यहीं रुक जाना है। ज़िंदगी में आने की खबर तो 9 महीने पहले मिल जाती है लेकिन जाने की खबर 9 सेकंड पहले भी नहीं मिल पाती इसलिए मस्त रहो व्यस्त रहो। एक स्कूल खोलने का अर्थ है, एक कारागार बंद करना। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र निर्माण हो और मन की शक्ति में वृद्धि हो। चरित्र निर्माण में अक्षम शिक्षा अर्थहीन है । पत्थर के लिए जो भूमिका मूर्तिकला की है, वही भूमिका मनुष्य के लिए शिक्षा की है। यदि निर्धन शिक्षा तक नहीं पहुंच सकता, तो शिक्षा को निर्...