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लाख की चूड़ियाँ (प्रश्नोत्तर)

 लाख की चूड़ियाँ (प्रश्नोत्तर)                                                                                                                       प्रश्न 1-बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था? उत्तर-बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव बड़े चाव से इसलिए जाया करते थे क्योंकि वहाँ बदलू नाम का एक मनिहार (लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला) था, जो उसे लाख की सुंदर, रंग-बिरंगी गोलियाँ बनाकर देता था। ऐसी, गोलियाँ, जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।  लेखक बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘काका’ इसलिए कहता था, क्योंकि मामा के गाँव के सभी बच्चे उसे ‘बदलू काका’ कहकर बुलाते थे। उनकी देखा-देखी लेखक भी उसे ‘बदलू काका’ कहने लगा। प्रश्न 2-वस्तु-विनिमय क्या है ? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है? उत्तर-‘वस्तु-विनिमय’ का अर्थ है-एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु लेना। विनिमय का यह तरीका प्राचीन समय में अपनाया जाता था, जिसमें लोग वस्तु के बदले पैसे नहीं लेते थे, बल्कि वस्तु के बदले कोई अन्य वस्तु ले लेते थे। लेकिन, आजकल विनिमय की पद्धति बदल गई है। आज लोग वस्तु

हम पंछी उन्मुक्त गगन के (प्रश्नोत्तर)

  हम पंछी उन्मुक्त गगन के  (प्रश्नोत्तर)  कवि- शिवमंगल   सिंह  ' सुमन ’ प्रश्न  1- हर   तरह   की   सुख  सुविधाएँ   पाकर   भी   पक्षी   पिंजरे   में   बंद   क्यों   नहीं   रहना   चाहते? उत्तर - यह   तो   सत्य   है   कि   हर   जीवित   प्राणी   स्वतंत्र   रहना   चाहता   है।   आज़ादी   सबको   प्रिय   होती   है।  यही   कारण   है   कि   पक्षियों   को   पिंजरे   में   भले   ही   सभी   प्रकार   की   सुख  सुविधाएँ   प्राप्त   हो,  पर   फिर   भी   वह   पिंजरे   में   आज़ाद   नहीं   हैं।   वह   तो   खुले   आकाश   में   उड़ना   पसंद   करते   है। पिंजरा   उनकी   उड़ान   में   बाधक   है।   इसलिए   वह   पिंजरे   में   बंद   नहीं   रहना   चाहते।   प्रश्न  2- पक्षी   उन्मुक्त   रहकर   अपनी   कौन  -  कौन   सी   इच्छाएँ   पूरी   करना   चाहते   हैं ? उत्तर - पक्षी   उन्मुक्त   रहकर   अपनी   निम्नलिखित   इच्छाएँ   पूरी   करना   चाहते   हैं - 1- वे   खुले   आसमान   में   उड़ना   चाहते   हैं। 2- वे   नदी   तथा   झरने   आदि   का   बहता   जल   पीना   चाहते   हैं। 3- वे   नीम   के   पेड़   की   कड़वी   निबौरियाँ